जहानाबाद जिले के ऐतिहासिक सिद्धनाथ मंदिर में पूजा व्यवस्था को लेकर विवाद गहरा गया है। पंडा समिति के सदस्यों को मंदिर प्रांगण से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा है। विरोध के तौर पर मौन प्रदर्शन किया गया।
पंडा समिति के अध्यक्ष राजीव पांडे, धर्मेंद्र पांडे, शिवनंदन पांडे और मुनेश्वर पांडे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पंडित पातालगंगा में एकत्र हुए और प्रशासन के फैसले का विरोध जताया। उनका कहना है कि यह निर्णय धार्मिक परंपरा और उनकी आजीविका दोनों पर असर डाल रहा है।
पंडा समिति के सदस्यों ने बताया कि उनके पूर्वज वर्षों से बाबा सिद्धनाथ की पूजा-अर्चना और जल संकल्प करवाते आ रहे हैं। सनातन परंपरा के अनुसार, जलाभिषेक से पहले जल संकल्प आवश्यक होता है, जिसे केवल ब्राह्मण ही कराते हैं।
समिति ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बिना कोई ठोस आधार के उन्हें मंदिर प्रांगण से हटाकर पहाड़ी की तलहटी में भेज दिया, जिससे श्रद्धालुओं को धार्मिक रीति-रिवाज पूरे कराने में परेशानी हो रही है।
इस मुद्दे पर जिलाधिकारी का कहना है कि पिछले साल की घटना को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष केवल बाहरी पंडितों को हटाया गया है, स्थानीय पंडितों को नहीं। हालांकि, हटाए गए पंडा स्वयं को स्थानीय बताते हैं और इस फैसले के खिलाफ जिलाधिकारी से मिलने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंदिर से जुड़े स्थानीय पंडितों की पहचान में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
पंडा समिति के सदस्यों ने कहा कि, मंदिर से हटाए जाने के कारण उनकी रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है। श्रद्धालुओं को जल संकल्प कराने के लिए अब मंदिर के भीतर पंडित नहीं मिल रहे, जिससे वे बिना संकल्प के ही जलाभिषेक करने को मजबूर हो रहे हैं।


