जहानाबाद पंडुई पंचायत में मनरेगा भवन में जीपीडीपी बैठक में वार्ड सदस्यों का विरोध, मुखिया पर लगाए गंभीर आरोप

जहानाबाद जिले के ग्राम पंचायत पंडुई स्थित मनरेगा भवन में आयोजित ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की बैठक उस समय विवादों का केंद्र बन गई जब पंचायत के कई वार्ड सदस्य काला बिल्ला लगाकर विरोध स्वरूप बैठक में पहुंचे। वार्ड सदस्यों ने मुखिया पर मनमानी और पक्षपात करने के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े हैं और योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी है।
वार्ड सदस्यों की नाराजगी
बैठक में शामिल वार्ड प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि गांव में न तो नाली और सड़क का निर्माण हुआ है और न ही पीने के पानी व सोलर लाइट जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उनका कहना था कि मुखिया पिछले चार वर्षों से टालमटोल करते आ रहे हैं और योजनाओं को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही।
जानकारी के मुताबिक पंचायत के 14 में से करीब 10 वार्डों के सदस्य एकजुट होकर विरोध में उतरे। उनका आरोप है कि सरकार से मिलने वाले विकास फंड का लाभ सभी वार्डों तक समान रूप से नहीं पहुँच रहा और केवल चुनिंदा क्षेत्रों में ही काम कराए जा रहे हैं। नाराज प्रतिनिधियों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि “जब जनता सवाल करती है तो मुखिया जिम्मेदारी सरकार पर डाल देते हैं, जबकि गांव के विकास का असली जिम्मा मुखिया के हाथों में है।”
मुखिया ने सरकार पर डाला ठीकरा
वार्ड सदस्यों के आरोपों को मुखिया ने सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि पंचायत में विकास कार्य रुकने की असली वजह फंड का समय पर उपलब्ध न होना है। मुखिया का कहना था कि “सरकार की ओर से योजनाओं का पैसा समय पर नहीं मिलता। कई योजनाओं की राशि अटकी हुई है, जिसकी वजह से काम अधूरे रह गए हैं। मेरा इरादा किसी भी वार्ड की उपेक्षा करने का नहीं है, लेकिन फंड के बिना विकास कार्य सुचारु रूप से संभव नहीं है।”
सरकार की योजनाओं पर सवाल
बैठक के दौरान यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि राज्य सरकार द्वारा भेजी जाने वाली विकास योजनाएँ आखिर जमीन पर क्यों नहीं उतर पा रही हैं। वार्ड सदस्यों का कहना था कि यदि योजनाओं की राशि वास्तव में पंचायत तक नहीं पहुँच रही तो यह गंभीर विषय है और इसकी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए। वहीं मुखिया का दावा था कि वे कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन फंड जारी न होने से कार्य प्रभावित हैं।
पंचायत के लोग उम्मीद में
गांव के स्थानीय लोगों ने भी विकास कार्यों में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। ग्रामीणों का कहना था कि पर्व-त्योहार के समय भी गांव की गलियों में न तो लाइट की व्यवस्था रहती है और न ही सड़क का उचित प्रबंध। उनका आरोप था कि सरकार की योजनाएँ अक्सर कागजों पर ही सिमटकर रह जाती हैं और जनता तक वास्तविक लाभ नहीं पहुँच पाता।
बैठक का माहौल इस बार सरकार की योजनाओं और पंचायत स्तर की जवाबदेही पर गहन चर्चा का कारण बन गया। वार्ड सदस्यों और मुखिया के बीच जारी खींचतान के बीच आम जनता यह उम्मीद कर रही है कि आने वाले दिनों में योजनाओं को धरातल पर उतारा जाएगा और पंचायत क्षेत्र का समुचित विकास हो सकेगा।